62 सूरए जुमुअह
सूरए जुमुअह मदीना
में नाजि़ल हुई है और इसकी ग्यारह आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से शुरू करता
हूँ जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
जो चीज़ आसमानों में है और जो चीज़ ज़मीन
में है (सब) ख़ुदा की तस्बीह करती हैं जो (हक़ीक़ी) बादशाह पाक ज़ात ग़ालिब हिकमत
वाला है (1) वही तो जिसने जाहिलों में उन्हीं में का एक रसूल
(मोहम्मद) भेजा जो उनके सामने उसकी आयतें पढ़ते और उनको पाक करते और उनको किताब और
अक़्ल की बातें सिखाते हैं अगरचे इसके पहले तो ये लोग सरीही गुमराही में (पड़े
हुए) थे (2) और उनमें से उन लोगों की तरफ़ (भेजा) जो अभी तक
उनसे मुलहिक़ नहीं हुए और वह तो ग़ालिब हिकमत वाला है (3) ख़ुदा का फज़ल है जिसको चाहता है अता फ़रमाता है
और ख़ुदा तो बड़े फज़ल (व करम) का मालिक है (4) जिन लोगों (के सरों) पर तौरेत लदवायी गयी है
उन्होने उस (के बार) को न उठाया उनकी मिसाल गधे की सी है जिस पर बड़ी बड़ी किताबें
लदी हों जिन लोगों ने ख़ुदा की आयतों को झुठलाया उनकी भी क्या बुरी मिसाल है और
ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मंजि़ल मकसूद तक नहीं पहुँचाया करता (5) (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ यहूदियों अगर तुम ये
ख़्याल करते हो कि तुम ही ख़ुदा के दोस्त हो और लोग नहीं तो अगर तुम (अपने दावे
में) सच्चे हो तो मौत की तमन्ना करो (6) और ये
लोग उन आमाल के सबब जो ये पहले कर चुके हैं कभी उसकी आरज़ू न करेंगे और ख़ुदा तो
ज़ालिमों को जानता है (7) (ऐ रसूल)
तुम कह दो कि मौत जिससे तुम लोग भागते हो वह तो ज़रूर तुम्हारे सामने आएगी फिर तुम
पोशीदा और ज़ाहिर के जानने वाले (ख़ुदा) की तरफ़ लौटा दिए जाओगे फिर जो कुछ भी तुम
करते थे वह तुम्हें बता देगा (8) ऐ
ईमानदारों जब जुमा का दिन नमाज़ (जुमा) के लिए अज़ान दी जाए तो ख़ुदा की याद
(नमाज़) की तरफ़ दौड़ पड़ो और (ख़रीद) व फरोख़्त छोड़ दो अगर तुम समझते हो तो यही
तुम्हारे हक़ में बेहतर है (9) फिर जब
नमाज़ हो चुके तो ज़मीन में (जहाँ चाहो) जाओ और ख़ुदा के फज़ल (अपनी रोज़ी) की
तलाश करो और ख़ुदा को बहुत याद करते रहो ताकि तुम दिली मुरादें पाओ (10) और (उनकी हालत तो ये है कि) जब ये लोग सौदा बिकता
या तमाशा होता देखें तो उसकी तरफ़ टूट पड़े और तुमको खड़ा हुआ छोड़ दें (ऐ रसूल)
तुम कह दो कि जो चीज़ ख़ुदा के यहाँ है वह तमाशे और सौदे से कहीं बेहतर है और
ख़ुदा सबसे बेहतर रिज़्क़ देने वाला है (11)
(दुवा: ऐ हमारे प्यारे अल्लाह जिस
दिन हमारे आमाल का हिसाब होने लगे मुझे मेरे माँ बाप और
खानदान वालो को और सारे ईमानवालो को तू अपनी खास रेहेमत से बख्श दे। आमीन)
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