100 सूरए अल आदियात
सूरए अल
आदियात मक्का
में या
मदीना में
नाजि़ल हुआ
और इसकी
ग्यारह आयतें
हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ग़ाजि़यों के)
सरपट दौड़ने
वाले घोड़ो
की क़सम
(1) जो नथनों
से फ़रराटे
लेते हैं
(2) फिर पत्थर
पर टाप
मारकर चिंगारियाँ
निकालते हैं
फिर सुबह
को छापा
मारते हैं
(3) (तो दौड़
धूप से)
बुलन्द कर
देते हैं
(4) फिर उस
वक़्त (दुश्मन
के) दिल
में घुस
जाते हैं
(5) (ग़रज़ क़सम
है) कि
बेशक इन्सान
अपने परवरदिगार
का नाशुक्रा
है (6) और यक़ीनी
ख़ुदा भी
उससे वाकि़फ़
है (7) और बेषक
वह माल
का सख़्त
हरीस है
(8) तो क्या
वह ये
नहीं जानता
कि जब
मुर्दे क़ब्रों
से निकाले
जाएँगे (9) और दिलों
के भेद
ज़ाहिर कर
दिए जाएँगे
(10) बेशक उस
दिन उनका
परवरदिगार उनसे
ख़ूब वाकि़फ़
होगा (11)
(दुवा:
ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल
का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे। आमीन)
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