Saturday, June 13, 2020

सूरए अल लहब 111


111 सूरए अल लहब

सूरए अल लहब मक्की है और इसकी पाँच आयतें हैं

ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

अबु लहब के हाथ टूट जाएँ और वह ख़ुद सत्यानास हो जाए (1) (आखि़र) उसका माल ही उसके हाथ आया और () उसने कमाया (2) वह बहुत भड़कती हुयी आग में दाखि़ल होगा (3) और उसकी जोरू भी जो सर पर ईंधन उठाए फिरती है (4) और उसके गले में बटी हुयी रस्सी बँधी है (5)

 

(दुवा: ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे आमीन)


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