109 सूरए अल काफिरून
सूरए अल
काफिरून मक्का
या मदीना
में नाजि़र
हुआ और
उसकी छः
आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ
रसूल) तुम
कह दो
कि ऐ
काफिरों (1) तुम जिन
चीज़ों को
पूजते हो, मैं
उनको नहीं
पूजता (2) और जिस
(ख़ुदा) की
मैं इबादत
करता हूँ
उसकी तुम
इबादत नहीं
करते (3) और जिन्हें
तुम पूजते
हो मैं
उनका पूजने
वाला नहीं
(4) और जिसकी
मैं इबादत
करता हूँ
उसकी तुम
इबादत करने
वाले नहीं
(5) तुम्हारे लिए
तुम्हारा दीन
मेरे लिए
मेरा दीन
(6)
(दुवा:
ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल
का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे। आमीन)
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