Sunday, June 14, 2020

सूरए अज़ ज़िलज़ाल 99


99 सूरए अज़ ज़िलज़ाल

सूरए अज़ ज़िलज़ाल मक्का या मदीने में उतरा और इसकी आठ आयतें हैं

ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

जब ज़मीन बड़े ज़ोरों के साथ ज़लज़ले में जाएगी (1) और ज़मीन अपने अन्दर के बोझे (मादनयात मुर्दे वग़ैरह) निकाल डालेगी (2) और एक इन्सान कहेगा कि उसको क्या हो गया है (3) उस रोज़ वह अपने सब हालात बयान कर देगी (4) क्योंकि तुम्हारे परवरदिगार ने उसको हुक्म दिया होगा (5) उस दिन लोग गिरोह गिरोह (अपनी कब्रों से) निकलेंगे ताकि अपने आमाल को देखे (6) तो जिस शख़्स ने ज़र्रा बराबर नेकी की वह उसे देख लेगा (7) और जिस शख़्स ने ज़र्रा बराबर बदी की है तो उसे देख लेगा (8)

 

(दुवा: ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे आमीन)


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