Sunday, June 14, 2020

सूरए अत तारिक़ 86


86 सूरए अत तारिक़

सूरए अत तारिक़ मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी सत्तरह आयतें हैं

ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

आसमान और रात को आने वाले की क़सम (1) और तुमको क्या मालूम रात को आने वाला क्या है (2) (वह) चमकता हुआ तारा है (3) (इस बात की क़सम) कि कोई शख़्स ऐसा नहीं जिस पर निगेहबान मुक़र्रर नहीं (4) तो इन्सान को देखना चाहिए कि वह किस चीज़ से पैदा हुआ हैं (5) वह उछलते हुए पानी (मनी) से पैदा हुआ है (6) जो पीठ और सीने की हड्डियों के बीच में से निकलता है (7) बेषक ख़ुदा उसके दोबारा (पैदा) करने पर ज़रूर कु़दरत रखता है (8) जिस दिन दिलों के भेद जाँचे जाएँगे (9) तो (उस दिन) उसका कुछ ज़ोर चलेगा और कोई मददगार होगा (10) चक्कर (खाने) वाले आसमान की क़सम (11) और फटने वाली (ज़मीन की क़सम) (12) बेषक ये क़ुरान क़ौले फ़ैसल है (13) और लग़ो नहीं है (14) बेशक ये कुफ़्फ़ार अपनी तदबीर कर रहे हैं (15) और मैं अपनी तरजी कर रहा हूँ (16) तो काफि़रों को मोहलत दो बस उनको थोड़ी सी मोहलत दो (17)

 (दुवा: ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे आमीन)


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