Sunday, June 14, 2020

सूरए अल क़ारिअह 101


101 सूरए अल क़ारिअह

सूरए अल क़ारिअह मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी ग्यारह आयतें हैं

ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

खड़खड़ाने वाली (1) वह खड़खड़ाने वाली क्या है (2) और तुम को क्या मालूम कि वह खड़खड़ाने वाली क्या है (3) जिस दिन लोग (मैदाने हर्ष में) टिड्डियों की तरह फैले होंगे (4) और पहाड़ धुनकी हुयी रूई के से हो जाएँगे (5) तो जिसके (नेक आमाल) के पल्ले भारी होंगे (6) वह मन भाते ऐश में होंगे (7) और जिनके आमाल के पल्ले हल्के होंगे (8) तो उनका ठिकाना रहा (9) और तुमको क्या मालूम हाविया क्या है (10) वह दहकती हुयी आग है (11)

 

(दुवा: ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे आमीन)


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