94 सूरए अल इन्शिरा
सूरए अल
इन्शिरा मक्के
में नाजि़ल
हुआ और
इसकी आठ आयतें
हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल)
क्या हमने
तुम्हारा सीना
इल्म से
कुशादा नहीं
कर दिया
(जरूर किया)
(1) और तुम
पर से
वह बोझ
उतार दिया
(2) जिसने तुम्हारी
कमर तोड़
रखी थी
(3) और तुम्हारा
जि़क्र भी
बुलन्द कर
दिया (4) तो (हाँ)
पस बेशक
दुशवारी के
साथ ही
आसानी है
(5) यक़ीनन दुशवारी
के साथ
आसानी है
(6) तो जब
तुम फारिग़
हो जाओ
तो मुक़र्रर
कर दो
(7) और फिर
अपने परवरदिगार
की तरफ
रग़बत करो
(8)
(दुवा:
ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल
का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे। आमीन)
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