Sunday, June 14, 2020

सूरए अल हुमज़ह (वैल) 104


104 सूरए अल हुमज़ह (वैल)

सूरए सूरए अल हुमज़ह (वैल) मक्की या मदनी है और इसमें नौ आयतें हैं

ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

हर ताना देने वाले चुग़लख़ोर की ख़राबी है (1) जो माल को जमा करता है और गिन गिन कर रखता है (2) वह समझता है कि उसका माल उसे हमेषा जि़न्दा बाक़ी रखेगा (3) हरगिज़ नहीं वह तो ज़रूर हुतमा में डाला जाएगा (4) और तुमको क्या मालूम हतमा क्या है (5) वह ख़ुदा की भड़काई हुयी आग है जो (तलवे से लगी तो) दिलों तक चढ़ जाएगी (6) ये लोग आग के लम्बे सुतूनो (7) में डाल कर बन्द कर दिए (8) जाएँगे (9)

 

(दुवा: ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे आमीन)

 


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