110 सूरए अन नस्र
सूरए अन
नस्त्र मदीना
में नाजि़ल
हुआ और
इसकी तीन
आयतें हैं
ख़ुदा के
नाम से
(शुरू करता
हूँ) जो
बड़ा मेहरबान
निहायत रहम
वाला है
(दुवा:
ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल
का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे। आमीन)
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