Saturday, June 13, 2020

सूरए अन नस्र 110


110 सूरए अन नस्र

सूरए अन नस्त्र मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी तीन आयतें हैं

ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है

रसूल जब ख़ुदा की मदद पहुचेंगी (1) और फतेह (मक्का) हो जाएगी और तुम लोगों को देखोगे कि गोल के गोल ख़ुदा के दीन में दाखि़ल हो रहे हैं (2) तो तुम अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करना और उसी से मग़फे़रत की दुआ माँगना वह बेशक बड़ा माफ़ करने वाला है (3)

 

(दुवा: ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे आमीन)


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